राजगुरु मार्केट से सटे आर्य बाजार में एक बुजुर्ग व उसका बेटा बहुत सालों से सडक़ किनारे चप्पलें बेच रहे हैं. सडक़ किनारे 4 फुट का खोखा बना है, जिसमें वह सामान रखते हैं. मुद्दा यह नहीं की यह खोखा वैध है या अवैध. मगर, ऐसा क्यों हो रहा है की इस खोखे को छोडक़र चप्पलें सडक़ पर रखी जाती हैं. सडक़ पर फुट दो फुट नहीं अपितु चप्पलें बेचने के लिए 10 फुट तक अवैध कब्जा किया हुआ है. इतना कब्जा करने के बाद भी न तो इन बुजुर्ग को शर्म आती है और न ही नगर निगम के अधिकारियों को. निगम की तरफ से दो-तीन महीने में दिखावे के लिए एक-दो बार अतिक्रमण हटाओ अभियान चला दिया जाता है. निगम कर्मचारियों के रहने तक तो दुकानदार सडक़ों पर रखे गए सामान को हटा लेते हैं, लेकिन उनके जाते ही सामान फिर सडक़ों पर अवैध कब्जा कर लेता है. बाजारों में अतिक्रमण को लेकर लोग गुफ्तगू करते हैं कि इन दुकानदारों से तो शराब के ठेके वाले भले हैं. किसी भी शराब के ठेके का कोई सामान शर्टर से बाहर नहीं होता है. तो क्या उनके यहाँ ग्राहक नहीं आते या फिर उनके पास काम की कमी है. Related Articles :
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