Monday, July 11, 2011

आखिर क्यों बंधे हैं पुलिस के हाथ


पटेल नगर में युवा जूस विक्रेता विक्की की हत्या के विरोध में लोगो के दिलो-दिमाग पर गुस्सा इस कदर हावी था की नगर में बढ़ रहे आतंक के विरोध में उपद्रवियों ने एक बार फिर जम कर आतंक मचाया. अपनी मनमानी की, दुकानों में तोडफ़ोड़ की. रेहड़ी व लोडिंग ऑटो में लूट भी मचाई. मगर, पुलिस खड़ी देखती रही, कुछ नहीं किया. औपचारिकता पूरी करने के लिए बस एक-दो बार भीड़ को धमकाया भर गया.
अब लोगों में यह गुफ्तगु शुरू हो गई है कि आखिर पुलिस के हाथ बंधे क्यों हैं. चर्चाएं तो ये भी हैं कि हिसार लोकसभा सीट पर उपचुनाव के मद्देनजर पुलिस-प्रशासन फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है. चर्चा की जा रही है कि पुलिस ने लघु सचिवालय में प्रदर्शनकारियों पर तो लाठियां बरसाई, दौड़ा-दौड़ा कर पीटा. मगर, तोडफ़ोड़ व लूटपाट करने वाले उपद्रवियों को क्यों नहीं रोका. वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक पार्टियों के नेता अपनी राजनीति करने तो पहुंच जाते हैं, लेकिन ऐसे उपद्रवियों को रोकने के लिए कोई आगे नहीं आता.
पिछले एक सप्ताह के अंदर हिसार में जिस तरह से गुंडा तत्वों से सिर उठाया है, लोग कहने लगे हैं कि अब तो हिसार का हाल भी यूपी व बिहार के जैसा होता जा रहा है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो यहां रहना आसान नहीं होगा. 24 घंटे के दौरान मुल्तानी चौक पर लस्सी विक्रता सहित छह जगह फायरिंग की घटनाएं. इसके दो दिन के बाद फिर एक बार मुल्तानी चौक में युवक पर जानलेवा हमला. अगली रात को पटेल नगर में चाकू से युवा की हत्या. मगर, यह सुखद रहा कि पुलिस ने एक ही दिन में पांच जगह फायरिंग करने वालों को गिरफ्तार कर लिया.
ऐसी घटनाएं होने के बाद पुलिस एक बार तो गश्त बढ़ा देती है. मगर, स्थिति फिर से वही ढाक के तीन पात. जांच के नाम पर आम जनता को तो परेशान किया जाता है. कभी गर्मी से बचने के लिए मुंह पर कपड़ा लपेट कर जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. मगर, कोई ये तो बताए कि इस तरह की चैकिंग में अब तक पुलिस ने कितने अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजा है. शायद, एक भी नहीं. इस तरह की चैकिंग मात्र औपचारिकता है. कोई अपराधिक घटना हो जाने पर तो पुलिस को अपनी ड्यूटी याद आती है, मगर सामान्य दिनों में पुलिस सडक़ों पर नजर नहीं आती. अब पुलिस का डर लोगों के दिलों में नहीं रहा. यही कारण है कि शनिवार को उपद्रवियों ने सिटी थाना प्रभारी राकेश मटौरिया को घेर लिया और उनसे धक्का मुक्की की.
अब तो लोग हिसार के पूर्व पुलिस अधीक्षक ए.एस. चावला व श्रीकांत जाधव को भी याद करने लगे हैं. लोगों का कहना है कि हिसार को ऐसे ही दिलेर अफसरों की जरूरत है. फिलहाल लोगों का पुलिस पर से विश्वास उठता जा रहा है. पहले तो पुलिस अपराधिक घटनाओं पर लगाम लगाने में नाकाम हो रही है और दूसरा पुलिस घटनाओं के बाद विरोध की आड़ पर अराजकता फैलाने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही. लोगों के मन में एक ही सवाल है कि पुलिस के हाथ क्यों बंधे हैं.

नहीं नजर आती विधायकशहर की कांग्रेसी विधायक सावित्री जिंदल आजकल शहर में नजर नहीं आ रही है. शहर में इतनी अपराधिक घटनाएं हो रही हैं. युवा व्यापारी का कत्ल कर दिया गया है, लेकिन विधायक महोदया का अता-पता नहीं है. शहर के विधायक से जनता विकास चाहती है. मगर, हिसार में विकास तो बाद की बात है, जनता के दुख-दर्द में भी विधायक साथ खड़ी भी नजर नहीं आती हैं.

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