Thursday, May 05, 2011

ट्रेन में बबली, जेल में....


बच्चे देश का भविष्य है और युवाओ के कंधो पर देश की सुरक्षा का बोझ. यह बात आपने भी सुनी है और हमने भी. लेकिन कभी किसी ने ठंडे दिमाग से सोचा है की क्या आज ऐसा संभव है. क्योंकि बच्चे आज बच्चे कहलाना ही पसंद नहीं करते और युवा इस कदर पथ भ्रष्ट हो गए है की वो नैतिकता ही भूल चुके है. आज के युवाओं के लिए सड़क पर चलती लड़की कोई मायेने नहीं रखती तो देश व् उसकी सुरक्षा क्या चीज है.
इस बात का शायद बबली को ज्ञान नहीं था. इसीलिए वो अपनी माँ के साथ सिरसा से हिसार आ रही ट्रेन के उस डिब्बे में बैठ गई जिसमे युवा लडको की बहुतायत थी. ट्रेन ने जैसे ही रफ़्तार पकड़ी लडको की हरकते भी शुरू हो गई और लगे लड़के बबली पर फब्तियां कसने. सभी लड़को को एक जैसा पाकर बबली भी चुप रही, जिससे लड़को का हौंसला और अधिक बढ़ गया और वो बबली के साथ छेड़खानी करने लगे. 
ट्रेन में घटी इस घटना ने हिसार का ही नहीं अपितु प्रदेश का सिर शर्म से झुका ही दिया. इस घटना के बाद बबली को इस बात का एहसास भी हो गया की आज हरियाणा में लड़कियां अकेली तो दूर अपने परिजनों के साथ भी सुरक्षित नहीं है. यही कारण था की लड़के बबली को छेड़ते रहे, उस पर फब्तियां कसते रहे और उसकी माँ लड़को के समक्ष हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाती रही लेकिन किसी भी लड़के ने उसकी एक ना सुनी.
यह तो सभी जानते है की युवा आज लड़कियों को छेड़ने का मौका कभी भी और कहीं भी छोड़ना नहीं चाहते. अब ग्रामीण युवा मंडली के बीच फंसी बबली को क्या पता था की एक सैनिक को देख जिन नौजवानों का सीना चौड़ा होता था और देश भक्ति का जज्बा अपने आप पैदा होता था, आज स्थिति इसके विपरीत है. क्योंकि आज युवा सेना में देश की रक्षा के लिए नहीं अपितु अपना शौक पूरा करने जाता है.
रही बात नैतिकता की तो वो आज के युवाओं में शून्य के बराबर है. ऐसा भी नहीं है की यह बात सभी पर लागू होती है. लेकिन उन जैसे युवाओं पर जरुर लागू होती है जो उस दिन ट्रेन में थे. कहने को तो ये युवा सिरसा में सेना की खुली भर्ती में टेस्ट देने गए थे. हजारो युवाओं को देख लगा की आज भी युवाओं में देश भक्ति और देश की सुरक्षा का जज्बा कूट-कूट कर भरा है, लेकिन शाम होते-होते यह मजा किरकिरा हो गया.
इस घटना के पश्चात भर्ती से वापिस लौट रहे कुछ युवा सेना में जाने के स्थान पर पुलिस थाने पहुँच गए. बाद में वो सब जमानत के बाद बाहर तो आ गए लेकिन उनकी हरकत को देख मानवता का सिर शर्म से निचे हो गया. शुक्र है भगवान् का की यह सब सेना का फिजिकल टेस्ट पास नहीं कर पायें वरना मेरे देश का क्या होता. क्योंकि जब ऐसे युवा देश की एक बेटी की रक्षा नहीं कर सकते तो देश की सुरक्षा क्या ख़ाक करेंगे.
बात सिर्फ छेडछाड तक ही सीमित नहीं रही, घटना ने उस समय शर्मनाक रूप धारण कर लिया जब लडको ने लड़की के कपडे तक फाड़ दिए. अगर यह युवा बस की छत पर बैठ कर अपने शिक्षण संस्थान से घर लौट रहे हो और गलती से सड़क पर चलती कोई लड़की दिख जाये तो ही हो-हल्ला करने व् सीटियाँ बजाने से बाज नहीं आते. ऐसे में अब इन युवाओं और मेरे देश की बबली का भविष्य क्या होगा यह गुफ्तगू का विषय है.
हद तो उस समय हो गई जब देश भक्ति के नाम पर सिरसा में सेना की भर्ती के लिए गए लडको ने अगले दिन भी ऐसी ही एक और घटना को अंजाम दिया. लगा की शायद ये लड़के देश की रक्षा के लिए नहीं अपितु मौज-मस्ती के लिए यह टेस्ट देने गए थे. यही कारण था की इसी ट्रेन में अगले दिन अन्य लडको ने फिर से एक और बबली पर फब्तियां कसी और उसके साथ छेड़छाड़ की.

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