
समाचार का पहलु यह है की दोनों सरकारी विभाग में से एक विभाग तो गलत है. या तो आबकारी एवं कराधान विभाग के कर्मचारी सच बोल रहे हैं कि उनके साथी कर्मचारी को षडय़ंत्र के तहत फंसाया जा रहा है या फिर विजिलेंस विभाग की टीम का कहना सही है कि जसवंत बांगा रिश्वत ले रहा था। आबकारी एवं कराधान विभाग के कर्मचारी तो अपने साथी को बचाने के लिए हड़ताल पर भी बैठ गए।
क्या वाकई विजिलेंस विभाग की टीम बिना किसी सबूत के एक ट्रांसपोर्टर के कहने पर सरकारी कर्मचारी को बिना वजह फंसा रही है, या रिश्वत लेने के आरोपी को उसके साथी बचा रहे है. अब दोनों विभाग में से एक विभाग के कर्मचारी सही हैं और एक गलत हैं। चाहे गलत या सही कोई भी हो, लेकिन नुक्सान तो जनता का ही है। अगर जसवंत बांगा सही में रिश्वत ले रहा था, तो एक परिपाटी शुरू हो जाएगी कि रिश्वत लेने वाले कर्मचारी को उसके साथी बचाने लगेंगे और अगर विजिलेंस विभाग गलत है तो उनकी अन्य छापामार कार्रवाइयों पर भी सवालिया निशान खड़े हो जाएंगे.
0 comments:
Post a Comment