Tuesday, April 01, 2025

Tuesday, February 07, 2012

और वो मुख्यमंत्री बनना चाहते है !


किसी भी प्रदेश के मुख्यमंत्री की अगर हम बात करे तो वो कुछ कारणों से ही सत्ता सुख का आनंद ले पाता है. मुख्य कारण मुख्यमंत्री बनने वाले व्यक्ति का रुतबा होता है तो कहीं जाकर उस व्यक्ति द्वारा राजनीति में आने के बाद जनहित में करवाए गए काम भी साथ देते है. चुनाव के समय कुछ मतदाता की सोच पर निर्भर होता है तो बहुत कुछ मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की सोच और समझ उसका साथ देती है. जहाँ नेता की साफ़-स्वच्छ शैली का मुख्यमंत्री बनने में बड़ा योगदान होता है वहीँ मतदान करते समय जनता यह अवश्य ध्यान में रखती है की यह नेता उनकी उम्मीदों पर किस तरह और कितना खरा उतरेगा. बावजूद इन सबके एक राजनितिक दल की छवि भी चुनाव में अहम् भूमिका अदा करती है.
किसी राज्य का कोई भी नेता अगर यह सोचने लगे की मैं ही अपनी राज्य का मुख्यमंत्री बनूँगा तो यह शायद मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा लगता है. बावजूद इसके हिसार लोकसभा उपचुनाव जीत कर सांसद बनने वाले कुलदीप बिश्नोई की यह सोच की वो आगामी विधानसभा चुनावों में प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे कितनी कारगर साबित होती है वो तो आने वाला समय ही बतायेंगा लेकिन इतना जरुर है की भाजपा के बलबूते अगर वो अपनी सोच पर कायम है तो उनकी यह डगर आसान नहीं है. हर इंसान की गुफ्तगू का अपना अलग नजरिया होता है लेकिन इतना जरुर है की अगर आज मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की बात भी होती है तो रोहतक में किये विकास कार्यो के दम पर. 
हिसार लोकसभा उपचुनावों में हिसार का हूँ और हिसार में ही रहूँगा जैसे सब्जबाग दिखाने वाले कुलदीप बिश्नोई जहाँ आज जनता के दुःख-दर्द में नजर नहीं आ रहे है. ऐसे में प्रदेश में एक कोने से दूसरे कोने तक अपनी पहचान स्थापित करना आज भी उनके लिए दुर्ग भेदने जैसा लगता है. बात वही की आज अगर मुख्यमंत्री हुड्डा के लिए कहीं भी गुफ्तगू होती है तो रोहतक में हुए विकास कार्यो का अवश्य जिक्र होता है. वहीँ शहर के कई विकास कार्य आज भी सांसद कुलदीप बिश्नोई की बाट जोह रहे है.ऐसे में हिसार की जनता जहाँ अपने को ठगा सा महसूस कर रही है वहीँ यह देख वो सदमे में है की उनकी बात सुनने वाला आज कोई नहीं है. और तो और भाजपा नेता नेता उनकी तलाश में जुटे है.
नगर में दिन-प्रतिदिन बढ़ते अपराध से लेकर बिजली-पानी, सीवरेज, सड़क, यातायात की समस्या आज आम आदमी के लिए सिरदर्द बनी हुई है तो शहर के पुराना ओवरब्रिज से त्रस्त जनता मुंह बाए अपने सांसद का इन्तजार कर रही है. जब सभी काम ही सरकार व् जिला प्रशासन के दिशा निर्देश पर होने है तो आखिर उन माँ-बाप के आंसू भला कौन पूछेगा जिनकी लाडली सोमवार को बस की चपेट में आकर जिंदगी और मौत से लड़ रही है. तो क्या यह मान लिया जाएँ की आज जिले के सभी विभाग सांसद से ऊपर हो कर काम कर रहे है. अगर ऐसे में वो प्रदेश के मुख्यमंत्री बनना चाहते है तो उनके लिए यह दूर के ढोल सुहाने लगने जैसी कहावत लगती है.

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