Monday, January 16, 2012

रेड लाईट पर लगा लाल निशान


हिसार:
फव्वारा चौक: वर्षो पहले इस चौक पर लगी रेड लाईट का पालन आज भी जनता तो बखूबी कर रही है लेकिन सड़क के एक ओर की टूटी हुई रेड लाईट आज भी प्रशासन को मुंह चिढ़ा रही है.



मधुबन चौक: किसी समय में इस पोल पर भी रेड लाईट हुआ करती थी. पहले वो सिर्फ टूट गई थी. लेकिन शायद यह रेड लाईट के प्रति प्रशासन की बेरुखी ही रही की आज यहाँ मात्र पोल ही बचा है.


बीकानेर चौक: शहर के मध्य में आने वाले इस मुख्य चौक पर चारों ओर से आवागमन रहता है. इसी के मद्देनजर यहाँ रेड लाईट लगाईं गई थी लेकिन पुलिस की मौजूदगी के बावजूद आज यह भी खस्ता हाल है.


नागोरी गेट: प्रशासन द्वारा नगर में लगी अन्य रेड लाइटों की मौजूदा स्थिति से सबक ना लेने के बावजूद इस चौक पर रेड लाईट तो लगा दी गई लेकिन आज बंद होने के कारण वो आंसू बहा रही है.


तलाकी गेट: बस स्टैंड के कारण अक्सर वाहनों से खचाखच भरे रहने वाले इस चौक की लाइटों से कुछ समय तो काम किया लेकिन आज आलम यह है की टूटी हुई इन लाइटों को रस्सियों से बाँधा गया है.


शहर : हिसार
मुख्य चौक : 9
रेड लाईट : 5
कार्यरत्त : 1
टूटी हुई : 5
शहर ए फिरोजा की नगरी हिसार के मुख्य 9 चौराहों में से पांच पर लगी रेड लाइटों का कुछ ऐसा ही हाल है. ऐसा नहीं है की रेड लाइटों को लेकर प्रशासन कुछ कर नहीं रहा. अब आप पूछेंगे की जब प्रशासन कुछ कर ही रहा है तो रेड लाइटों का यह हाल क्यों है. तो जनाब आपको यह बता दे की आज तक रेड लाइटों को लेकर प्रशासन ने कुछ किया है तो सिर्फ दावे. कभी कहा जाता है की यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए इस चौक पर लाईट लगेगी तो कभी दावा किया जाता है की नगर में लगी रेड लाइटों को ठीक किया जायेगा. लेकिन स्थिति आज भी वही ढाक के तीन पात वाली बनी हुई है.
बावजूद इसके हाल ही में पुलिस प्रशासन द्वारा शहर में सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया गया. जनता को यातायात नियमों की जानकारी देने हेतु बड़े-बड़े आयोजन किये गए. रैलिय निकाली गई. स्कूली बच्चों को चौक पर खड़ा कर वाहन चालकों को समझाया गया. प्रतिदिन सैकडों की संख्या में वाहन चालकों के चालान किये गए. यह पहला मौका था की पत्रकारों के भी चालान किये और महिला पुलिसकर्मियों ने स्कूली लड़कियों-महिलाओं को भी नहीं बक्शा. जिला पुलिस कप्तान सहित उप पुलिस अधीक्षक ने स्वयं चौक पर खड़े होकर वाहनों के चालान काटे. कुल मिला कर पुलिस ने जनता को समझाने का भरपूर प्रयास किया.
समय-समय पर पुलिस द्वारा किये जाने वाले इस प्रयास से जनता कितना समझेगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा क्योंकि चालान के डर से जनता एक बार तो यातायात नियमों का पालन करने लगती है लेकिन यह अभियान समाप्त होते ही जनता फिर से पुराने ढर्रे पर लौट आती है. इतना जरुर है की अभियान के दौरान जनता एक बार तो अवश्य समझती है लेकिन पुलिस या जिला प्रशासन तो एक बार भी इन रेड लाइटों के प्रति ना जागा है और ना ही समझा है. ऐसे में नगर में यह गुफ्तगू आम हो चली है की अब की बार पुलिस द्वारा चलाये गए इस अभियान से ऐसा लगा जैसे खिसियानी बिल्ली खम्बा नोच रही हो.

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