चलती में तो सभी चलाते है, जबकि शासन-प्रशासन आम आदमी की भलाई के लिए निजी तौर पर कोई काम करे तो माने. ऐसी ही कुछ गुफ्तगू हो रही है आज कल हिसार के पुरानी मंडी रोड के व्यापारियों और निवासियों में. आलम यह है की शासन-प्रशासन की नींद आज बिना धरना-प्रदर्शन के खुलती ही नहीं और जब यह सब करने के पश्चात नींद खुल भी जाये तो काम के बीच में ही कुछ ऐसे आदमी अपना काम निकलवा जाते है जिनकी शासन-प्रशासन में चलती है. जबकि उसी काम के पूरा होने के लिए आम आदमी बाट जोहता रह जाता है. हद तो उस समय हो जाती है जब चलती में करवाए गए उस काम पर खर्च का निर्वहन भी प्रशासन को ही करना पड़ता है.
ऐसा ही एक वाक्या बीते दिनों मंडी रोड पर देखने को मिला. पिछले पांच साल से सड़क बनने का इंतजार आखिरकार तब ख़त्म हुआ जब व्यापारियों ने रोड जाम कर सड़क बनाने की कार्यवाही को अंजाम तक पहुँचाने की मांग रखी. उनकी मेहनत रंग लाई और एक निश्चित अवधि के बाद सड़क निर्माण शुरू हुआ. लेकिन इस बीच वो सब कुछ हुआ जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. अपनी चलती में सब ने चलाई और सड़क बनने का कार्य लेट पर लेट होता रहा. किसी ने सीवरेज का काम अपनी मनमर्जी मुताबिक करवाया तो किसी ने अपने निजी स्वार्थ के चलते उस समय सड़क खुदवा दी जब सड़क निर्माण अपने अंतिम चरण में था. चलो जी अब सड़क बन कर तैयार है.
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ऐसा ही एक वाक्या बीते दिनों मंडी रोड पर देखने को मिला. पिछले पांच साल से सड़क बनने का इंतजार आखिरकार तब ख़त्म हुआ जब व्यापारियों ने रोड जाम कर सड़क बनाने की कार्यवाही को अंजाम तक पहुँचाने की मांग रखी. उनकी मेहनत रंग लाई और एक निश्चित अवधि के बाद सड़क निर्माण शुरू हुआ. लेकिन इस बीच वो सब कुछ हुआ जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. अपनी चलती में सब ने चलाई और सड़क बनने का कार्य लेट पर लेट होता रहा. किसी ने सीवरेज का काम अपनी मनमर्जी मुताबिक करवाया तो किसी ने अपने निजी स्वार्थ के चलते उस समय सड़क खुदवा दी जब सड़क निर्माण अपने अंतिम चरण में था. चलो जी अब सड़क बन कर तैयार है.
बात यहीं पर ख़त्म नहीं हुई, बल्कि गुफ्तगू ने उस समय और जोर पकड़ लिया जब अपने को जिंदल घराने के नजदीकी कहने वाले एक व्यवसायी ने ना सिर्फ अनाधिकृत रूप से अपने घर के बाहर का फर्श तक बनवा लिया बल्कि वो भी सरकारी खर्चे पर. एक तरफ हिसार में मानसून अपनी दस्तक दे चूका है लेकिन आम व्यवसायी अपनी-अपनी दुकानों के बाहर फर्श बनवाने का इंतजार महज इसलिए कर रहा है की प्रशासन की तरफ से पांच फुट का फुटपाथ बनाया जाना है. प्रशासन इस बात को भूल कर की एक ही बरसात दुकानों को पानी से लबालब भर सकती है अब चलती वालों की चमची करने में जुटा है. अब पहलु यह है की आज चलती में तो सभी चलाते है लेकिन आम आदमी का काम कब और कैसे होगा.
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