मुझे गुफ्तगू करते तीन वर्ष एक महीना हो गया है. इस दौरान मैंने कभी किसी अपराध या अपराधी पर गुफ्तगू की तो कभी शासन-प्रशसन के खिलाफ. अब गुफ्तगू तो गुफ्तगू है, किसी नेता के खिलाफ भी हो सकती है तो किसी समुदाय के खिलाफ भी. ऐसे में एक डर सा लगा रहता है की कल को कोई कुछ कह ना दें या कर ना दें. अक्सर ऐसा भी होता की मेरी गुफ्तगू से नाराज पाठक मुझे मेल, फोन या टिपण्णी के जरियें अपनी नाराजगी प्रकट भी करते रहते है. कहने का भाव यह है की ऐसे बहुत से मौके आये जब मैंने डर कर गुफ्तगू की. लेकिन आज मेरी जिंदगी का यह पहला मौका है जब मुझे गुफ्तगू करने में डर लग रहा है. बात कुछ ऐसी ही हो गई. आज मैंने कुछ ऐसा देखा और पढ़ा की एकबारगी लगा की कल को अगर कोई मेरी गुफ्तगू या मुझ पर केस कर दें तो मेरा क्या होगा. ना किसी को कुछ कहने लायक रहता और ना गुफ्तगू करने लायक.
वर्ष 2011 से पाठको की इच्छानुसार मैंने फ़िल्मी गुफ्तगू, रंगीन पन्ना और हिसार की कुछ खास फोटो आप तक पहुँचाने का प्रयास किया था. इस पर कुछ पाठको की टिपण्णीयां भी मिली तो कुछ ने इसको देख कर कहा की वेबसाईट पर यह सब तो चलता ही है. तो कुछ का कहना था की गुफ्तगू में यह सब शोभा नहीं देता. कहते है की इच्छा कभी पूरी नहीं होती सो मैंने इसको निरंतर चलने का मन बनाया. इसके लिए मैंने कुछ फ़िल्मी वेबसाइटों से फोटो के लिए संपर्क किया तो कुछ कंपनियों से जानकारी पाने के लिए. इसी का परिणाम था की कुछ दिनों से मेरे पास कुछ सिने तारिकाओं की फोटो आई हुई थी. जिनमे वो बिकनी में थी. कुछ को देख लगा की शायद यह फेक फोटो है. इसीलिए मैंने इन फोटो की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. शायद यहीं मेरा सौभाग्य था की इन 20 - 22 को पोस्ट नहीं किया जा सका.
आज दोपहर कुछ खाली सा था. सोचा की हिसार सहित समस्त हरियाणा जात आरक्षण की आग से जुंझ रहा है तो क्यों ना कुछ फ़िल्मी गुफ्तगू ही कर ली जाएँ. इसी दौरान एक पत्रकार मित्र भी आ गया. मैंने जैसे ही कुछ फोटो खोली तो उसकी नजर विद्या बालन की एक फोटो पर पड़ते ही तपाक से बोले की यह फोटो कहाँ से आई. मैंने कहा की फिल्म एजेंसी से. तो उन्होंने बताया की आज एक समाचारपत्र में समाचार छपा है की विद्या का दावा है की यह फोटो उनका नहीं है क्योंकि ऐसा कोई फोटो शूट उन्होंने किया ही नहीं. साथ ही उन्होंने कहा की इसके लिए वो मैक्सिम पत्रिका पर केस भी करेंगी. क्योंकि मैक्सिम पत्रिका ने विद्या का यह फोटो कवर पर लगाया है. बस यह सुनते ही भरी दोपहर में मुझे भी ठण्ड लगने लगी. सोचा की अगर कभी मेरे साथ ऐसा हुआ तो मेरा क्या होगा. लगा की मेरी तो किस्मत ही अच्छी थी.
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